यादें कुछ अनकही सी
दिनांक :- ३१/१२/२०२१
दिन :- शुक्रवार
मेरी डायरी मेरी साथी ! हर किसी के जीवन में खुशियों और गम का आना - जाना लगा ही रहता है । मैं हूॅं या कोई और सबकी जिंदगी में खुशियां आती है तो ऐसा नहीं है कि वह हमेशा हमारे साथ चिपक कर ही रहेंगे । उसे जाना भी पड़ता है और उसके बाद गम आता है । खुशी में हमारा दिल खुश हो जाता है तो गम में हम उदास होकर अपनी आंखें नम भी कर लेते हैं । खुशी के दिन जैसे हमारी स्मृतियों में हमेशा के लिए कैद हो जाते हैं वैसे ही कुछ ऐसे गम के पल होते हैं जो हम भूल नहीं सकते । ताउम्र वह गम हमें किसी न किसी रूप में हमारे सामने आकर हमें उसकी याद दिलाते रहते हैं । साल २०२१ इस साल में और लोगों की तरह मुझे भी बहुत सारी खुशियां मिली तो साथ ही गम भी मिला ।
मेरी डायरी मेरी साथी ! इस साल जो खुशी और गम मिले उसे मैंने तुम्हें पहले बताया ही है लेकिन अभी मैं तुम्हारे साथ अपनी कुछ अनकही यादें बांटने आई हूॅं । किसी से सुना था कि जो बात हम किसी अपने से भी नहीं कह सकते वह अपनी डायरी से कह सकते हैं यही वजह है कि अभी मैं तुम्हारे पास हूॅं । वैसे तो मैं लेखन के क्षेत्र में लगभग डेढ़ साल से हूॅं लेकिन मैंने नियमित रूप से लिखना इसी साल शुरू किया है । इसी साल होने वाली कई प्रतियोगिताओं में मैंने हिस्सा लिया और मुझे इसका मेहनताना भी मिला है । सर्टिफिकेट्स के साथ - साथ पुरस्कार राशि भी मैंने जीती है । लिखना मुझे पसंद है । बचपन से ही जो चीज में किसी को नहीं कह पाती थी उसे मैं लिखकर उन्हें दे देती थी । शायद यही वजह है कि उम्र के इस पड़ाव में आकर अब मैं कहानी ... कविताएं और लेख भी लिखने लगी हूॅं । मोबाइल में डायरी लिखने से पहले मैं अपनी खुद की डायरी भी लिखती थी लेकिन रोज नहीं लिख पाती थी । जिस दिन मन बहुत उदास होता था अपने मन के भावों को कागज के पन्नों में उतार देती थी । मैं जानती थी कि इसे पढ़ने वाला कोई नहीं लेकिन यें मेरे मन के भाव होते थे जिसे मैंने महसूस किया होता था उसे मैं लिख देती थी । किसी के मन के भाव लिखे हुए भी मजाक का कारण बनते हैं । यह देखकर मेरा मन बहुत दुखी हुआ और मैंने डायरी लिखना बंद कर दिया था लेकिन जब डायरी प्रतियोगिता शुरू हुई तब मैंने फिर से डायरी लिखना शुरू किया लेकिन सिर्फ मोबाइल पर अपनी डायरी के पन्नों पर नहीं ।
मेरी डायरी मेरी साथी ! जब कोई लेखक कोई कहानी है कविता लिखता है वह उन्हें अपनी जिंदगी या अपने आसपास की जिंदगी के पात्रों के जीवन को अनुभव करके ही लिखता है । अब तो लेखन मेरी दिनचर्या का हिस्सा बन चुका है लेकिन कब तक शायद मैं यह नहीं जानती क्योंकि किसी को भी मेरा लिखना पसंद नहीं है । सबको यही लगता है कि यह समय की बर्बादी है । कब तक लड़ झगड़ कर लिख पाऊंगी देखते हैं । अपने द्वारा लिखी कहानी और कविताएं जब पुरस्कृत होती है तो मन बहुत खुश होता है जिसे लोगों के साथ बांटना तो चाहती हूॅं लेकिन बहुत कम ऐसे लोग हैं जो मेरी खुशी में शरीक हो पाते हैं लेकिन फिर भी अपनी खुशी के लिए लिखती भी हूॅं और उससे सोशल मीडिया पर पोस्ट भी करती हूॅं । जिसे जो कहना है कहे जो सोचना है सोचें । यही सोच कर रोज लिखती ही रहती हूॅं । 😊
मेरी डायरी मेरी साथी ! यही थी मेरी कुछ अनकही सी यादें । और भी कुछ यादें हैं जो किसी और दिन तुम्हारे साथ फुर्सत से बैठकर साझा करूंगी । सुनोगी ना तुम ? मुझे यकीन है तुम जरूर सुनोगी । चलो फिर ! मिलती हूॅं बाद में । अभी के लिए इतना ही ।
" गुॅंजन कमल " 💗💞💓
# डायरी
Swati chourasia
31-Dec-2021 07:09 AM
बहुत ही खूबसूरत डायरी👌👌
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Gunjan Kamal
31-Dec-2021 01:57 PM
धन्यवाद मैम
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